Saturday, May 23, 2020

LOCKDOWN

LOCKDOWN जब हम इतिहास को हाथ में उठाते हैं और उसे पढ़ते हैं ,तब हमें अपने पूर्वजों द्वारा किए गए कार्य पर गर्व होता है हम सर उठा कर उनका इतिहास पढ़ते हैं और कहते हैं| क्या हम जानते हैं कि वर्तमान में जो हम कर रहे हैं वह भविष्य में इतिहास बनने वाला है |अगर हम रहते हैं इस दौर में और हमारी पीढ़ी आगे आती है; तो वह क्या पढ़ेंगे हमारे बारे में कभी हमने ऐसा सोचा है ? नहीं सोचा ना ?मुझे ऐसा लगता है शायद ऐसा सोचेंगे कि, - हमारे पूर्वजों के समय एक महामारी आई और उसे पूरी तरह मिटाने के लिए केवल घर पर रहने की प्रार्थना की गई थी ताकि उस बीमारी को हम जड़ से खत्म कर सके लेकिन उन को घर पर रहना जरूरी नहीं लगता| उन्हें घर में कैद हो यह जो मान्य नहीं |मजबूर होकर सरकार को कर्फ्यू , लॉक डाउन का सहारा लेना पड़ा | पहले उन्हें लगा था कि हम अनुरोध करेंगे तो हमारी जनता मान जाएगी लेकिन हम तो ठहरे अनपढ़, जाहिल ,गँवार हमको प्यार से बोली हुई कोई बात समझ में नहीं आती | अतः सरकार को लॉक डाउन जैसा कड़ा फैसला लेना पड़ा | पर हमारा जाहिलपना यहीं तक सीमित न रहकर और भी तरक्की करता गया अर्थात दिन पर दिन lockdown बढ़ता चला गया ,बढ़ता चला गया ,बढ़ता चला गया ,बीमारी भी उसी तरह बढ़ती चली गई क्योंकि हमने घर पर रहने का एक छोटा -सा भी कार्य पूरा नहीं किया ताकि आने वाली जो पीढ़ी रहे उनको हम एक खूबसूरत सी दुनिया दे सकें| यह बहुत दुखद और शर्मनाक बात है कि जहां हमारे बड़े बड़े पूर्वज इतने सारे युद्ध लड़े वहां पर हम महामारी जैसे युद्ध से लड़ने के लिए घर पर भी ना टिक सके कितनी शर्म की बात है| फिर भी सरकार ने स्थिति को संभाल कर रखा है खाने-पीने जैसी चीजों की सुविधा हर कोई इससे गुजर नहीं रहा है लेकिन कुछ लोग इस से गुजर रहे हैं फिर भी ....फिर भी लोगों को घूमना है ,शॉपिंग करना है ,गर्मी के दिन है तो हिल स्टेशन जाना है |उनको सब करना है सिर्फ घर पर नहीं रहना है ,आज्ञा का पालन नहीं करना है और दिन पर दिन lockdown बढ़ाना है तथा उल्टा सरकार को ही कोसना है कि वह कुछ नहीं कर रही है, हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है| जितनी सरकार को हमसे उम्मीद थी हम उतनी सहायता उनकी नहीं कर रहे हैं फिर भी उन्होंने हालातों को संभाल कर रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं | सोचेा कि अगर हम सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरे तो हम क्या नहीं कर सकते? बाकी देशों से तुलना की जाए तो भारत में मृत्यु दर मैं कमतरता पाई गई है इतनी भी नहीं होती यदि हम सही समय पर सही कदम नहीं उठाते| फिर भी अभी ज्यादा कुछ बिगड़ा नहीं है इससे पहले की स्थिति अर्थात हालत गंभीर से गंभीर रूप धारण करें हमें अभी होश में आ जाना चाहिए और इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि अब यह lockdown और आगे ना बढ़े | सब का भविष्य दांव पर लगा हुआ है ,सब घर पर बैठे हैं अपना काम धंधा छोड़कर ,बच्चे बैठे हैं अपने पढ़ाई को छोड़कर सोचो अगर यह बच्चे ठीक तरह से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे तो कैसा होगा उनका भविष्य ? अतः हम सभी देशवासियों का आज की तारीख में यह परम कर्तव्य है कि हम सब कंधे से कंधा मिलाकर घर पर ही बैठे |जरूरत हो तब ही, जरूरत का सामान खरीदना हो तब ही घर से बाहर जाए अन्यथा स्वयं भी घर पर बैठे| बहुत सारे काम है जिसे घर पर बैठ कर भी हम कर सकते हैं |जो काम हमने अधूरे छोड़ दिए थे, अपनी व्यस्तता के कारण कर नहीं पाए थे , आज समय आया है कि हम उन कार्य को पूरा कर सके| अगर हम बाहर निकलते हैं तो महामारी में फंस सकते हैं लेकिन अगर हम घर पर बैठकर अपने रुके हुए कार्य को पूरा करते हैं तो इससे अच्छा सुनहरा अवसर अब हमको और कभी मिलने वाला नहीं है |अतः समय की गंभीरता को समझें घर पर रहे ,सुरक्षित रहें ,खुद भी जिए औरों को भी जीने दें और एक सभ्य , सुशिल, संस्कारी भारतवासी होने का प्रमाण दे और आने वाली पीढ़ी को यह साबित कर दें कि हम भी किसी से कम नहीं है हमने महामारी जैसी बीमारियों से लड़ कर एक नया इतिहास रचा है और बच्चे भी हमारे द्वारा किए गए कार्य को गर्व से सर उठा कर पढ़ सकें, कुछ उससे कुछ सीख सकें|

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