Wednesday, May 20, 2020

सुमित्रानंदन पंत

सुमित्रानंदन पंत की 120 वीं जयंती सुमित्रानंदन पंत जी छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक थे | पंत जी का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी नामक गांव में हुआ था | उनके निवास स्थान को अब "सुमित्रानंदन पंत वीथिका," कहा जाता है जो कि एक बृहत संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया हैं. इस संग्रहालय में पंत जी की व्यक्तिगत प्रयोग की वस्तुएं जैसे -कपड़े ,कविताओं की मूल पांडुलिपियाँ, पत्र -पत्रिकाएं ,छायाचित्र आदि को रखा गया है | इसमें एक पुस्तकालय भी है ,जिसमें उनकी व्यक्तिगत तथा संबंधित पुस्तकों का संग्रह है| *सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा बोले गए अनमोल विचार इस प्रकार है : 1. हिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है। 2. जीना अपने ही मैं एक महान कर्म है। 3. यदि स्वर्ग कही है पृथ्वी पर, तो वह नारी उर के भीतर; मादकता जग में अगर कहीं, वह नारी अधरों में डूबकर; यदि कहीं नरक है इस भू, पर तो वह भी नारी के अंदर। 4. जीने का हो सदुपयोग यह मनुष्य का धर्म है। 5. वियोगी होगा पहला कवि , आह से उपजा होगा गान; उमड़ कर आंखों से चुपचाप वहीं होगी कविता अनजान। 6. ज्ञानी बनकर मत नीरस उपदेश दीजिए। लोक कर्म भाव सत्य प्रथम सत्कर्म कीजिए। 7. वह सरल, विरल, काली रेखा तम के तागे सी जो हिल-डुल; चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल। 8. मैं मौन रहा, फिर सतह कहां बहती जाओ, बहती जाओ बहती जीवन धारा में शायद कभी लौट आओ तुम। 9. मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोए थे, सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे। रुपयों का कलदार मधुर फसलें खनकेंगी और फूल फलकर मैं मोटा सेठ बनूंगा। पर बंजर धरती में एक ना अंकूर...।

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