CORONA
तरस जाते हैं अब ट्रेन की आवाज सुनने को
पहले यही आवाज बहुत सताती थी
फाटक हमेशा बंद मिलते थे रेलवे के
जब भी जाना होता था उस पार
अब फाटक खुल गए हैं पर जाने वाला कोई नहीं है क्योंकि ट्रेन भी जाती नहीं है.
अजीब बीमारी छाई है महामारी लाई है
जिंदगी का सफर है अकेले तय करना है
यहां ना कोई ट्रेन चलेगी ना बस
इंसान को जीना है तो घर में कैद रहना है.
इसी से बीमारी जाएंगी खुशहाली आएंगी .
इस अदृश्य शत्रु ने तबाही मचाई है
पूरे विश्व को एक कर दिया है
वह अकेला है ,उसे अकेले ही रहने देना है ,
इसी तरह से सामना करते हुए उसे मार देना है.
जीत निश्चित हमारी होगी क्योंकि उसकी हार तय है.
No comments:
Post a Comment