Tuesday, December 7, 2021

उषा की दीपावली

                 हिंदी युवकभारती 

                  कक्षा ग्यारहवीं

                     २. लघुकथाएँ


                                     लेखक - श्रीमती संतोष श्रीवास्तव

लेखक परिचय : संतोष श्रीवास्तव जी का जन्म २३ नवंबर १९५२ को मंडला (मध्य प्रदेश) में हुआ। आपने एम.ए. | (इतिहास, हिंदी), बी.एड तथा पत्रकारिता की उपाधियाँ प्राप्त की। नारी जागरूकता और उसकी अस्मिता की पहचान | आपकी लेखनी के विषय हैं। आपकी रचनाओं में एक ओर वर्तमान स्थितियों तथा सामाजिक विसंगतियों का चित्रण दृष्टिगोचर होता है तो वहीं दूसरी ओर जीवन जीने की छटपटाहट और परिस्थितियों से लड़ने की सार्थक सोच भी है।

 प्रमुख कृतियाँ : 'बहके बसंत तुम', 'बहते ग्लेशियर' (कहानी संग्रह) 'दबे पाँव प्यार', 'टेम्स की सरगम', 'ख्वाबों के पैरहन'(उपन्यास), 'फागुन का मन' (ललित निबंध संग्रह), 'नीली पत्तियों की शायराना हरारत' (यात्रा संस्मरण) आदि। | विधा परिचय: 'लघुकथा' हिंदी साहित्य में प्रचलित विधा है। यह गद्य की ऐसी विधा है जो आकार में लघु है पर कथा के तत्त्वों से परिपूर्ण है। कम शब्दों में जीवन की संवेदना, पीड़ा, आनंद को सघनता तथा गहराई से प्रस्तुत करने की क्षमता इसमें होती है। किसी परिस्थिति या घटना को लेखक अपनी कल्पना का पुट देकर रचता है। हिंदी साहित्य में डॉ. कमल किशोर | गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर और कमल चोपड़ा आदि प्रमुख लघुकथाकार हैं। 

पाठ परिचय: उषा की दीपावली' लघुकथा अनाज की बरबादी पर बालमन की संवेदनशीलता और संस्कारों को जाग्रत कराती है। एक ओर थालियाँ भर-भरकर जूठन छोड़ने वाले लोग हैं तो दूसरी ओर अनाज के एक-एक कौर को तरसते और विभिन्न तरीकों से रोटी का जुगाड़ करते लोग हैं। 'मुस्कुराती चोट' लघुकथा आर्थिक अभाव के कारण पढ़ाई न कर पाने की | विवशता तथा मजदूरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखने की अदम्य इच्छा को दर्शाती है। यह बाल मजदूरी जैसी समस्या को इंगित करते हुए होसला देती, आशाबाद को बढ़ाती सकारात्मक और संवेदनशील लघुकथा है।

                                लघुकथा 

                          उषा की दीपावली

दादी ने नरक चौदस के दिन आटे के दीप बनाकर मुख्य द्वार से लेकर हर कमरे की देहरी जगमगा दी थी। घर पकवान की खुशबू से तरबतर था। गुझिया, पपड़ी, चकली आदि सब कुछ था। मगर दस वर्षीय उषा को तो चॉकलेट और बंगाली मिठाइयाँ ही पसंद थीं। दादी कहती हैं कि "तेरे लिए तेरी पसंद की मिठाई ही आएगी। यह सब तो पड़ोसियों, नाते-रिश्तेदारों, घर आए मेहमानों के लिए हैं।"

आटे के दीपक कंपाउंड की मुंडेर पर जलकर सुबह तक बुझ गए थे। उषा जॉगिंग के लिए फ्लैट से नीचे उतरी तो उसने देखा पूरा कंपाउंड पटाखों के कचरे से भरा हुआ था। उसने देखा, सफाई करने वाला बबन उन दीपों को कचरे के डिब्बे में न डाल अपनी जेब में रख रहा था। कृशकाय बबन कंपाउंड में झाडू लगाते हुए हर रोज उसे सलाम करता था। "तुमने दीपक जेब में क्यों रख लिए ?" उषा ने पूछा। “घर जाकर अच्छे से सेंककर खा लेंगे, अन्न देवता हैं न।" बबन ने खीसे निपोरे।

उषा की आँखें विस्मय से भर उठीं। तमाम दावतों में भरी प्लेटों में से जरा-सा दूँगने वाले मेहमान और कचरे केडिब्बे के हवाले प्लेटों का अंबार उसकी आँखों में सैलाब बनकर उमड़ आया। वह दौड़ती हुई घर गई। जल्दी-जल्दी पकवानों से थैली भरी और दौड़ती हुई एक साँस में सीढ़ियाँ उतर गई... अब वह थी और बबन की काँपती हथेलियों पर पकवान की थैली। उषा की आँखों में हजारों दीप जल उठे और पकवानों की थैली देख बबन की आँखों में खुशी के आँसू छलक आए ।

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पाठ्य पुस्तक में दिए गए स्वाध्याय:-👇

 शब्दार्थ :

कृशकाय = दुबला-पतला शरीर

तरबतर = गीला, भीगा

बेरहमी = निर्दयता, दयाहीनता


आकलन


१) लिखिए :

(अ) दावत में होने वाली अन्न की बरबादी पर उषा की प्रतिक्रिया --

उत्तर - दावतों में मेहमान प्लेट भर-भर कर खाना लेते हैं और जरा-जरा सा दूँग कर जूठे खाने से भरी प्लेट कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं। दूसरी ओर अनेक ऐसे लोग हैं, जो दानेदाने के लिए तरसते हैं और वे भूखे-पेट सो जाते हैं। यह सोच कर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं।


(आ) संवादों का उचित घटनाक्रम-

(१) “रुपये खर्च हो गए मालिक"

(२) "स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है...!"

(३) “अरे क्या हुआ! जाता क्यों नहीं?" "

(४) “माँ, बाल मजदूरी अपराध है न?"

उत्तर :-संवादों का उचित कर्म निम्नलिखित प्रकार से है:-

(1) "स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है...! " 

(2) "माँ, बाल मजदूरी अपराध है न?"

(3) "अरे क्या हुआ! जाता क्यों नहीं?

(4) "रुपए खर्च हो गए मालिक।'


शब्द संपदा :-

समूह में से विसंगति दशनिवाला कृदंत/तद्धित शब्द चुनकर लिखिए :-


(१) मानवता, हिंदुस्तानी, ईमानदारी, पढ़ाई

उत्तर :- पढ़ाई :- (पढ़ + आई - कृत प्रत्यय) -  कृदंत

(२) थकान, लिखावट, सरकारी, मुस्कुराहट

उत्तर :-सरकारी: (सरकार + ई - तद्धित प्रत्यय)तद्धित

(३) बुढ़ापा, पितृत्व, हँसी, आतिथ्य

उत्तर :- हँसी:-(हँस + ई - कृत प्रत्यय) कृदंत

(४) कमाई, अच्छाई, सिलाई, चढ़ाई

उत्तर :- अच्छाई:- (अच्छा + आई- तद्धित प्रत्यय) तद्धित

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में आए हुए शब्दों के वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए  :-


(१) पेड़ पर सुंदर फूल खिला है।

उत्तर :- पेड़ों पर सुंदर फूल खिले हैं।

 (२) कला के बारे में उनकी भावना उदात्त थी।

उत्तर :- कलाओं के बारे में उनकी भावना उदात्त थी।

(३) दीवारों पर टँगे हुए विशाल चित्र देखे ।

उत्तर :- दीवार पर टँगा हुआ विशाल चित्र देखा।

(४) वे बहुत प्रसन्न हो जाते थे।

उत्तर :- वह बहुत प्रसन्न हो जाता था।

(५) हमारी तुम्हारी तरह इनमें जड़ें नहीं होतीं।

उत्तर :- मेरी-तुम्हारी तरह इसमें जड़ नहीं होती।

(६) ये आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहे थे।

उत्तर :- यह आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहा.            था।

 (७) वह कोई बनावटी सतह की चीज है|

उत्तर :- वे कोई बनावटी सतह की चीजें हैं।






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