मैं उद्घोषक
लेखक :-आनंद प्रकाश सिंह
स्वाध्याय :- (पाठ्य पुस्तक युवकभारती कक्षा बारहवीं. के आधार पर )
प्रश्न १) -सूत्र संचालक के कारण कार्यक्रम में चार चाँद लगते हैं।' इसे स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :- आज के जमाने में सूत्रसंचालक का महत्व बहुत बढ़ गया है। सूत्र संचालक किसी भी कार्यक्रम का कर्मधार होता है। सूत्रसंचालक कार्यक्रम में शोभा लाता है |कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा हो सूत्रसंचालक अपनी प्रतिभाशक्ति के बल पर कार्यक्रम में चार चाँद लगा देता है।
सूत्र संचालक अपनी भाषा ,आवाज में उतार-चढ़ाव ,अपनी हाजिरजवाबी, श्रोताओं से चुटीले संवादों, संचालन के बीच- बीच में सरसता लाने के लिए चुटकुलों, रोचक घटनाओं के प्रयोग, मंच पर उपस्थित महानुभावों के प्रति अपने सम्मान सूचक शब्दों के प्रयोग, कार्यक्रमों के अनुसार भाषा शैली में परिवर्तन करने या अपनी गलती पर माफी माँग लेने आदि गुणों के कारण सूत्र संचालन में चार चाँद लगा ही देता है।
सूत्र संचालक अपनी प्रतिभा शक्ति के कारण उपस्थित जन-समुदाय की प्रशंसा का पात्र भी बन जाता है। सूत्र संचालक अपने मिलनसार व्यक्तित्व, अपने विविध विषयों के ज्ञान, कार्यक्रम के सुचारू संचालन ,अपनी अध्ययनशीलता, अपनी प्रभावशाली और मधुर आवाज के संतुलित प्रयोग आदि के बल पर कार्यक्रम में जान डाल देता है।
सूत्र संचालक मे सतर्कता, सहजता और उत्साह वर्धन यह मुख्य गुण होते हैं। सूत्र संचालक के द्वारा कार्यक्रम के बीच-बीच में प्रसंगानुसार चुटकुले पद्य काव्यपंक्तियाँ विषयक संबंधित जानकारी देने से श्रोता ध्यान लगाकर सुनते हैं और कार्यक्रम रोचक होता है। उत्तम सूत्र संचालक की प्रतिभा का लाभ कार्यक्रमों और उनके आयोजकों को मिलता है। इस प्रकार उत्तम सूत्र संचालक के कारण कार्यक्रम में चार चाँद लग जाते हैं।
प्रश्न २) उत्तम मंच संचालक बनने के लिए आवश्यक गुण विस्तार से लिखिए।
उत्तर- किसी भी कार्यक्रम में मंच संचालक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। मंच संचालन करना एक कला है। अच्छा मंच संचालक अपनी प्रतिभाशक्ति के कारण कार्यक्रम को रोचक बना देता है। उत्तम मंच संचालक कार्यक्रम में जान डाल देता है। मंच संचालक श्रोता और वक्ता को जोड़ने वाली कड़ी होता है। वही सभा की शुरुआत करता है। उत्तम मंच संचालक बनने के लिए संचालक को अच्छी तैयारी करनी पड़ती है। मंच संचालक को जिस तरह का कार्यक्रम हो, उसी तरह की तैयारी भी करनी चाहिए। उसी के अनुरूप कार्यक्रम की संहिता लेखन करना चाहिए|
मंच संचालक के लिए विविध विषयों का ज्ञान होना चाहिए। मंचसंचालक व्यक्तिमत्व प्रभावशाली होना चाहिए और वह हँसमुख, हाजिर जवाबी तथा विविध विषयों का ज्ञाता भी होना चाहिए। इसके अतिरिक्त भाषा पर उसका प्रभुत्व होना अति आवश्यक है। मंच संचालक को किसी कार्यक्रम में ऐन वक्त पर परिवर्तन होने पर संहिता में परिवर्तन कर संचालन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाना पड़ता है। ऐसी क्षमता मंच संचालक में होनी चाहिए। अच्छे मंच संचालक को हर प्रकार के साहित्य का अध्ययन करना आवश्यक है।
मंच संचालक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कार्यक्रम कोई भी हो, मंच की गरिमा बनी रहनी चाहिए। सबसे - पहले मंच संचालक श्रोताओं के सामने आता है; इसलिए उसका परिधान, वेशभूषा आदि सहज और गरिमामय होनी चाहिए।
उत्तम मंच संचालक के अंदर आत्मविश्वास, सतर्कता, सहजता के साथ ओताओं का उत्साह बढ़ाने का गुण होना आवश्यक है। इसके अलवा मंच संचालक में समयानुकूल छोटे छोटे चुटकुलों तथा रोचक घटनाओं से ओताओं को बाँध रखने की शक्ति भी जरूरी है। अच्छे मंच संचालक को भाषा का पर्याप्त ज्ञान होना
आवश्यक है। भाषाकी शुद्धता, शब्दों का चयन, शब्दों का उचित
प्रयोग तथा किसी प्रख्यात साहित्यकार के कथन का उल्लेख कार्यक्रम को प्रभावशाली एवं हृदयस्पर्शी बना देता है। यही उत्तम मंच संचालक की थाती होती है! उत्तम मंच संचालक बननेवाले व्यक्ति को उपर्युक्त गुणों को आत्मसात करना आवश्यक है!
कार्यक्रमों तथा समारोहों की सफलता या असफलता की सारी जिम्मेदारी सूत्र संचालक की होती है। सूत्र संचालक का कार्य विविधतापूर्ण होता है। आजकाल शादी-विवाह में संगीत संध्या कार्यक्रम, बर्थडे पार्टी, शादी की वर्षगाँठ कार्यक्रम, विदाई समारोह, शासकीय कार्यक्रम, राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा दूरदर्शन पर आयोजित परिचर्चा, आकाशवाणी पर होनेवाली चर्चाओं में सूत्र संचालक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शासकीय तथा राजनैतिक कार्यक्रमों में सूत्र संचालक को पद, गरिमा वरिष्ठता तथा प्रोटोकॉल का ध्यान देना पड़ता है। वहीं पर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होनेवाली बहस, परिचर्चा में कार्यक्रम की संपूर्ण जानकारी एवं विषय की गंभीरता का ज्ञान होना चाहिए। संगीत संध्या, जन्मदिन पार्टी, वैवाहिक वर्षगाँठ समारोह तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में संचालक की वाक्पटुता, हाजिर जवाबी, हास्य-व्यंग्य तथा शेर एवं काव्य पाठ्य समारोह में चार चाँद लगा देती है। कार्यक्रम की रोचकता एवं सरसता का संपूर्ण दायित्व सूत्रसंचालक के ऊपर निर्भर करता है। सूत्र संचालक श्रोताओं और मंच के बीच कड़ी का काम करता है। एक तरफ जहाँ पर मंच पर उपस्थित श्रेष्ठजनों की क्रमवार वरिष्ठता एवं लोकप्रियता का ध्यान रखना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ श्रोताओं की कार्यक्रम में रूवि बनाए रखने के प्रति संचालक की महती जिम्मेदारी होती है।
अथवा
(6 अंक)
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