Wednesday, September 4, 2024

लाड़ली बहन

 लाड़ली बहन


लाड़ली बहन योजना…..

क्या है यह लाड़ली बहन योजना ?

शायद है कमजोर परिवार पर,

आशा की एक धुंधली- सी किरण….

शायद है आर्थिक रूप से बेहतर बनाने की कोशिश…

या फिर शायद है उन्हें सशक्त बनाने का एक छोटा- सा प्रयास


माना,

माना कि हो गए सोचे प्रयास सफल….

लेकिन…..

इतना कर भर देने से 

क्या आपकी लाड़ली बहन है सुरक्षित कोख में….?

कोख ..?

कोख ..?..?

वह तो लोगों की सोच में भी सुरक्षित नहीं 


क्या आपने है सोचा…

आपकी लाड़ली क्या चाहती है..?

वह चाहती है…

पन्द्रह सौ रुपए खाते में मिले ना मिले 

लेकिन,

कोलकाता की लाड़ली बहन को न्याय जरूर मिले l

न्याय जरूर मिले बदलापुर की पीड़िता को, कानून सख्त बने ,

ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले 

अपराधी सौ बार सोचे l


जान बचाने वाली देवतुल्य डॉक्टर बहन ने 

अपनी जान गंवाई है…..

नहीं है वह अब भी सुरक्षित

बात उसको समझ में आई है l


अब समय आ गया है ..

नया संकल्प चलाने का

लाड़ली बहन योजना के साथ

“लाड़ली सुरक्षा योजना” को अपनाने का

लाड़ली बहन योजना के साथ

“लाड़ली सुरक्षा योजना” को अपनाने का l


  - कु. पायल जायसवाल 

                        




Saturday, June 15, 2024

बाबू जी

 कवि संजीव सिंह जी की पिता और पुत्री  पर बनी कविता 

                       बाबू जी  


सच बात पूछती हूं बताओ ना बाबूजी 

छुपाओ ना बाबू जी 

क्या याद मेरी आती नहीं 


पैदा हुई घर में मेरे  मातम- सा छाया था 

पापा तेरे खुश थे मुझे मां ने बताया था 

ले - ले के नाम प्यार जताते भी मुझे थे

आते थे कहीं से तो बुलाते भी मुझे थे 

 मैं हूं नहीं तो किसको बुलाते हो बाबूजी...?

रुलाते हो बाबूजी

क्या याद मेरी आती नहीं .....


हर ज़िद मेरी पूरी हुई 

हर बात मानते 

बेटी थी ,मगर बेटों से

ज्यादा थे जानते 

घर कभी होली कभी दीपावली आई 

सैंडिल भी मेरी आई मेरी फ्रॉक भी आई 

अपने लिए बंडी भी न लाते थे बाबूजी 

क्या कमाते थे बाबूजी 

क्या याद मेरी आती नहीं......


सारी उमर खर्चे में कमाई में लगा दी 

दादी बीमार थी, तो दवाई में लगा दी

पढ़ने लगे हम सब तो पढ़ाई में लगा दी 

बाकी बचा वो मेरी सगाई में लगा दी 

अब किसके लिए इतना कमाते हो बाबू जी 

बचाते हो बाबू जी 

क्या याद मेरी आती नहीं.....


कहते थे मेरा मन कही एक पल लगेगा 

बिटिया विदा हुई तो घर ये घर न लगेगा

कपड़े कभी,गहने कभी सामान संजोते 

तैयारीयां भी करते थे ,

छूप - छूप थे रोते 

कर- कर के याद अब तो न रोते हो बाबू जी 

न सोते हों बाबू जी 

क्या याद मेरी आती नहीं.....


कैसी परंपरा है ये कैसा विधान है....?

पापा बता ना मेरा कौन - सा मेरा जहां है

आधा यहां आधा वहां जीवन है अधूरा

पीहर मेरा पूरा हैं न

ससुराल है पूरा

क्या आपका भी प्यार अधूरा है बाबूजी

न पूरा है बाबू जी 

क्या याद मेरी आती नहीं.....












Thursday, June 30, 2022

Sunday, April 3, 2022

मनोबल

 न निराश हो विद्यार्थियों आप 

बताती हूं आपको राज की बात

किसी भी शुभ कार्य में हवन करते हैं 

और उस हवन से आसपास का वातावरण शुद्ध करते हैं

 बस इसी तरह हमारे आसपास के वायरस को मारने के लिए ,

विद्यार्थियों में ऊर्जा शक्ति निर्माण के लिए

नियति ने भी एक विशेष हवन का आयोजन किया 

और उसी का कार्यभार भारतीय भाषाओं को सौंपा

नहीं जले हैं समिधा में केवल हिंदी ,मराठी के पेपर 

उसमें तो जला है महीनों से चला आ रहा पढ़ाई के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण

जलकर राख हुई है निराशा , दूर हुआ अंधकार है 

थकान ,असंतोष, भय ,आलस्य , चिंता की जल गई चिता  हैं 

और इसी जलते हुए पेपर की रोशनी में 

आशा की किरण नजर आई है

इन दो सालों में अगर आप पीछे हो गए हो तो ,

आपके आगे बढ़ने की गति  भी (speed) दोगुनी हो आई हैं 

जलती हुई आग की लपटों ने एक बात सिखाई है

 जल रही है वह लपट इसीलिए ऊपर जा रही है

हमें भी शिखर तक पहुंचने के लिए आग की तरह  जलना होगा

संघर्षों को पार करते हुए मंजिल को पाना होगा 


 " हिंदी और मराठी" के पेपर की आप सभी को शुभकामनाएं










Thursday, March 3, 2022

पुनः ऑफलाइन की ओर.....

 कोरोना को देकर करारा तमाचा |

पूरे महाराष्ट्र में बटेगा आज इंग्लिश का पर्चा ||

 2 साल बाद ही सही बोर्ड की परीक्षा आई है |

कमर कस ली विद्यार्थियों ने, कर ली पूरी पढ़ाई है ||

लेकर दोनों डोज़ बोर्ड नियम का पालन  किया है |

देकर प्रैक्टिकल और ओरल डर को कुछ कम किया है ||

75 % की पढ़ाई को 100 % की लगन से किया है |

रिवीजन में आई कठिनाइयों को शिक्षक द्वारा दूर किया है ||

30 मिनट मिले अतिरिक्त उसका लाभ उठाना है |

करके 80 अंकों का पेपर रिजल्ट को बेहतर बनाना है ||

गर कुछ भूल गए ,2 मिनट आंख बंद करना है |

क्या बताया था हमारे शिक्षक ने वह याद करना है ||

जितनी कठिन साधना पेपर उतना ही सरल होता है |

फूंक -फूंक कर रखना कदम एक-एक अंक जरूरी होता है ||

ऑनलाइन पढ़ाई और ऑफलाइन परीक्षा का गजब संगम है |

ऐसी स्थिति में भी जो विचलित ना हो वही नंबर वन है ||

      "परीक्षा की विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं"















Wednesday, January 12, 2022

सूक्तिसौरभ: |


                         तृतीय: पाठ:

               सूक्तिसौरभ:

 उपकारान् स्मरेन्नित्यम् अपकारांश्च विस्मरेत् । शुभे शैघ्यं प्रकुर्वीत अशुभे दीर्घसूत्रता ॥१॥

 १.  अन्वय: -   नित्यम् उपकारान् स्मरेत् । अपकारान् च विस्मरेत् । शुभे शैघ्यं प्रकुर्वीत । अशुभे दीर्घसूत्रता (प्रकुर्वीत) ।स्मरेत् । अपकारान् च विस्मरेत् । शुभे शैघ्यं प्रकुर्वीत । अशुभे दीर्घसूत्रता (प्रकुर्वीत) ।

मराठी भाषांतर :-

नेहमी उपकारांचे स्मरण करावे. अपकारांना नेहमी विसरावे. शुभ(चांगले) काम लवकर करावीत अशुभ कार्य करण्यात करावा. उशीर करावा.


२) सुखं शेते सत्यवक्ता सुखं शेते मितव्ययी ।

हितभुक् मितभुक् चैव तथैव विजितेन्द्रियः ।।२।।

अन्वय: - सत्यवक्ता सुखं शेते । मितव्ययी सुखं शेते। हितभुक् मितभुक् च एव (सुखं शेते) तथा एवं विजितेन्द्रियः (सुखं शेते) ।

मराठी भाषांतर :-

सत्य (खरे) बोलणारा सुखाने झोपतो. कमी खर्च करणारा सुखाने झोपतो; हितकर खाणारा व थोडे खाणारा सुखाने झोपतो तसेच ज्यांनी आपल्या ज्ञानेंन्द्रियांना जिंकले आहे तो सुखाने झोपतो.


कोऽतिभारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम् ।

को विदेशः सुविद्यानां कोऽप्रियः प्रियवादिनाम् ||३||

अन्वय: -  समर्थानां कः अतिभार: ? (न कश्चित् अतिभारः) व्यवसायिनां किं दूरम् ? (न किञ्चित् दूरम्) सुविद्यानां कः विदेशः ? (न कोऽपि विदेशः) प्रियवादिनां कः अप्रियः ? (न कोऽपि अप्रियः)

मराठी भाषांतर :-

३. सर्व समर्थ लोकांना कोणते ओझे? (कोणतेच नाही) व्यवसाय (व्यापार) करणाऱ्या दूरच्या अंतराचे काय? (त्याच्यासाठी दूरचे अंतर काहीच नसते) चांगल्या विद्या घेतलेल्यांना विदेश जाण्याचे (भय काय?) त्या स्वदेश किंवा विदेश यात काहीच फरक दिसत नाही, प्रिय (गोड) बोलणाऱ्यांना नावडले असे काय? (त्यांना अप्रिय असे काहीच नसते.)

Thursday, January 6, 2022

प्रजापालनार्थ राजकर्तव्यानि

 प्रजापालनार्थ राजकर्तव्यानि ।

लोगों की खातिर राजकार्ताव्यनी।


खेती,  पशुपालन और व्यापार के व्यवसाय और अनाज या पशुधन खनन या वन उपज के लाभों के बारे में बात करती है। इसलिए यह। उसके खजाने और धन की मदद से राजा उसका नाम ले सकता है (1.81.2)

जो लोग कर देने के इच्छुक हैं उन्हें खेती के लिए तैयार जमीन दी जानी चाहिए। वह भूमि जो अनुपयुक्त है और सर्प के नीचे लाई जाएगी या जगदीवाला की भूमि जिस पर खेती न करने वाले लोगों द्वारा खेती नहीं की जाती है (या जिस भूमि पर खेती नहीं की जाती है या जो व्यापारी गर्मियों के लिए आते हैं वे जानबूझकर लौटते हैं और करते हैं) कोपला को कर राहत के साथ-साथ कर छूट देते हुए राहत न मिलने दें, कहीं ऐसा न हो कि वे बड़े होकर अन्याय कर उन्हें राहत और कर छूट दे दें। जो आए या बाद में आए हैं, उन्हें कर छूट दें, और जिनकी कर छूट बंद है, उनकी देखभाल करें , पिता की तरह (26818)।


उसका काम करने वाला अधिकारी मुख्य कृषि अधिकारी को सही समय पर सभी प्रकार की सब्जियां, भांग फल, भांग और कपास के बीज, विषाक्त पदार्थ (22412) एकत्र करना चाहिए।