क्या तो हम रास्ता देख रहे हैं कि कब-कब गणेश जी आते हैं और वे विघ्नहर्ता हमारे दुखों को हर लेते हैं; लेकिन केरला के मल्लपुरम में हुई इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली, मानव को मानवता से दूर ले जाने वाली घटना ने हमें अंदर तक झकझोर कर रख दिया है|
भारत में हर पशु-पक्षी, जानवर ,नदी आदि सब में हम भगवान का रूप ना केवल मानते हैं बल्कि देखते भी है ,महसूस भी करते हैं और उन्हें पूजते भी है| जानवरों को मारना उनके साथ छेड़छाड़ करना वैसे भी कानूनी अपराध है और वह भी हाथी जैसे शांत स्वभाव व मुक जीव जो कि केवल एक नहीं बल्कि दो जीव का था, उसके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार!!
इंसान अगर जंगल में भटक जाए तो उसे पानी मिलेगा ताकि वह पीकर प्यास बुझा सके ,जंगल में छाया मिलेंगी जिससे इंसान की थकान दूर होगी ,खाने के लिए फल मिलेंगे जिससे उनकी भूख मिट सके| जंगल में भी कोई जानवर सामने से आकर तब तक हम पर प्रहार नहीं करता जब तक हम उनके साथ छेड़छाड़ या परेशान ना करें करें|
भूख - प्यास से व्याकुल मादा हाथी जब खाने को तलाशते हुए गलती से मानव बस्ती में आ जाती है तो कुछ असामाजिक तत्व उसके साथ इस तरह का दुर्व्यवहार करते हैं कि उन्हें अनानास में फटाके भरकर उस गर्भवती माता को खिला देते हैं और वह पेट भरने के लिए उस फल को ग्रहण करती हैं और जब पटाखे फूटते हैं तो वह इतनी बुरी तरह जख्मी हो जाती है कि वह जंगल की ओर लौटकर नदी में उतर जाती हैं |अपना मुंह पानी में डाल देती है ताकि शायद पानी में मुंह डालने से उसे आराम मिलने वाला था|
हाथी 113 लीटर पानी पी जाने वाला हाथी आज अपने मुंह की जलन को शांत करने के लिए पानी में डूबा है और शायद मौत का इंतजार कर रहा है |
वैसे तो यह जंगलों में रहता है लेकिन उचित शिक्षा यदि उसे दी जाए तो वह पालतू जानवर के रूप में भी जाना जा सकता है |कई सारे सर्कस वाले इसे अपने शो में सम्मिलित करते हैं ताकि वह दर्शकों का मनोरंजन कर सके |हाथी भी उनकी कसौटी पर खरा उतरता है और सबको अपने हैरतअंगेज कारनामे दिखाकर चकित कर देता है|
जहां बच्चे खिलौने के भालू को देखकर डर जाते हैं वहीं पर इतने बड़े गजराज को देखकर वे उन्हें अजीब- सी प्रसन्नता मिलती हैं| वे उन्हें देखकर ही मचल उठते हैं, वे उनके साथ खेलने के लिए, हाथ लगाने के लिए उछल पड़ते हैं|
पुराने जमाने में राजा महाराजा इस पर सवारी करते थे |युद्ध पर जाने के लिए तथा शिकार पर जाने के लिए भी हाथी पर बैठकर जाते थे |हाथी पर बैठना शाही अंदाज़ माना जाता था और आज भी यह अंदाज मौजूद हैं | अतः यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हाथी को शाही पशु भी कहा जाता है|
हाथी के चार पैर मानो चार स्तंभों का आभास कराते हैं |यह भारी सामान उठाने में भी इंसान की मदद करते हैं |हाथी जीते जी तो हम सभी के काम आता है लेकिन अपनी उम्र पूर्ण करने के बाद जब वह मर जाता है तब भी वह मानव के लिए बहुत उपयोगी होता है |
हाथी को पानी में उतरना ,अपनी सुंड से पानी खींच कर फव्वारे की भांति हवा में उड़ाना आदि बहुत पसंद आता है |परंतु केरल में हुई इस क्रूरता की शिकार मादा हाथी ने भूखे प्यासे ही अपने शिशु जोकि जन्म भी नहीं लिया था के साथ पानी में ही अपने प्राण त्याग दिए |
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